हिंदू धर्म में पत्नी को पति की अर्धांगिनी भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है पत्नी पति के शरीर का आधा अंग होती है। महाभारत में भीष्म पितामाह ने कहा है कि पत्नी को सदैव प्रसन्न रखना चाहिए क्योंकि उसी से वंश की वृद्धि होती है।
इसके अलावा भी अनेक ग्रंथों में पत्नी के गुण व अवगुणों के बारे में विस्तार पूर्वक बताया गया है। गरुड़ पुराण में भी पत्नी के कुछ गुणों के बारे में बताया गया है। इसके अनुसार जिस व्यक्ति की पत्नी में ये गुण हों, उसे स्वयं को देवराज इंद्र यानी भाग्यशाली समझना चाहिए। ये गुण इस प्रकार हैं-
पतिपरायणा यानी पति की हर बात मानने वाली
धर्म का पालन करने वाली
गृह कार्य में दक्ष यानी घर संभालने वाली
प्रियवादिनी यानी मीठा बोलने वाली
पत्नी को इन 6 बातों का ख्याल हमेशा रखना चाहिए